देहरादून, PAHAAD NEWS TEAM

गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को लेकर बड़ा ऐलान किया है. मोदी सरकार ने तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। मोदी के इस फैसले पर विपक्षी दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया भी आने लगी है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि किसानों का गला घोंटने वाले तीन काले कानूनों को वापस ले लिया गया है, यह संघर्ष की जीत है.

हरीश रावत ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा कि, यह किसान भाइयों के संघर्ष की जीत है. यह करीब एक हजार शहीदों की जीत है, जिन्होंने अपनी जान दे दी ताकि वे विजयी हो सकें। हरीश रावत ने सरकार द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने को किसानों की अभूतपूर्व जीत बताया है, जिसके लिए उन्होंने किसानों को बधाई दी है. उन्होंने इसे लोकतंत्र की जीत कहा है, क्योंकि सत्ता का अहंकार लोगों के संघर्ष के आगे झुक गया है.

बता दें कि पीएम मोदी ने शुक्रवार सुबह 9 बजे राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा कि सरकार अच्छी मंशा से काश्तकारों के हित में यह कानून लाई थी, लेकिन हम कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे।

मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हम बेहद विनम्रता से किसानों को समझाते रहे. बातचीत भी जारी रही, सरकार कानून के उन प्रावधानों को बदलने पर राजी हो गई, जिन पर उन्हें आपत्ति थी. दोस्तों आज गुरु नानक देव जी का पावन पर्व है, यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। मैं आज पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने हम इसे वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा करेंगे।

टिकैत ने आंदोलन खत्म करने से किया इनकार आपको बता दें कि सिंघू और टिकरी समेत दिल्ली की सीमा पर किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 14 महीने से आंदोलन कर रहे थे. अब सरकार के इस फैसले के बाद किसान संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम तुरंत आंदोलन वापस नहीं लेंगे, बल्कि उन्हें संसद में वापस लेने का इंतजार करेंगे.