टिहरी , PAHAAD NEWS TEAM

गावों में पेयजल संकट बढ़ने के साथ ही अब ग्रामीणों का पारा भी चढ़ने लगा है। गावों के लोगों ने आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का एलान कर दिया है। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया की यदि पेयजल आपूर्ति दुरुस्त कर ठोस उपाय नहीं किए गए तो आगामी विधानसभा चुनाव का तमाम गावों के लोग पूर्ण रूप से बहिष्कार कर देंगे।

ग्रामीणों ने जल संस्थान पर उपेक्षा का आरोप लगाया। कहा कि कई बार गावों में टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की गुहार लगाई जा चुकी है पर विभागीय अधिकारी सुनने को ही तैयार नहीं हैं। गावों के लोगो ने कहा कि गावों में मवेशियों को पिलाने तक के लिए पानी उपलब्ध नहीं है। बावजूद हर कोई अनसुनी कर रहा है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आरोप लगाया कि ग्रामीणों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। ग्रामीणो ने एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया। कहा कि नेता केवल मतदान के समय ही गांवों में भ्रमण करते है पानी के लिए ठोस उपाय नही करते है। सर्वसम्मति से तय हुआ कि जल्द गाव में पेयजल आपूर्ति को ठोस उपाय नहीं किए गए तो आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर दिया जाएगा।

जल स्त्रोत बचाने को ठोस उपाय किए जाने की माग वक्ताओं ने कहा कि प्राकृतिक स्त्रोत सूखते जा रहे हैं। कई जगह प्राकृतिक जल स्त्रोत में भरपूर पानी है बावजूद विभाग उन्हें बचाने तक को ठोस उपाय नहीं कर रहा। एक स्वर में घटका गधेरे पर बाध बनाए जाने की माग उठाई गई ताकि भविष्य में गावों को समुचित पेयजल की आपूर्ति हो सके।

इसके लिए हमारे सभी जनप्रतिनिधि सांसद, विधायक ,जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम प्रधान जिम्मेवार है पूर्व में भी कई बार शासन प्रशासन को यहां की पानी की स्थिति की की के बारे में बताया गया और कई बार तो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी यहां पानी की पंप योजना की घोषणा की जा चुकी है परंतु उसके बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।

आज उत्तराखंड बने हुए भी तकरीबन 20 वर्ष के करीब हो गए हैं और उत्तराखंड का शायद ही कोई ऐसा मुख्यमंत्री होगा जिसको की कांडी पंपिंग योजना के बारे में ना लिखा हो।

हमारी यह कांडी पम्पिंग योजना की चर्चाएं तब ही होती है जब यहां पर चुनाव होने होते हैं क्योंकि सभी पार्टी के नेताओं को पता है की इनके यहां सबसे बड़ी समस्या पानी की है और हर बार चुनाव के कोरे वादे करके जनता को धोखा दिया जाता है परंतु इस बार सभी ग्रामीणों ने यह निश्चित किया है की यदि हमारे यहां पानी की व्यवस्था नहीं की गई तो आने वाली विधानसभा चुनाव का पूर्ण बहिष्कार क्या जाएगा।

अगर पानी नहीं तो चुनाव नहीं अगर इसके उपरांत भी किसी भी पार्टी का कोई भी प्रत्याशी यदि गांव में वोट मांगने आता है तो उसको उल्टे पांव वापस लौटा दिया जाएगा। विगत मैं भी नेताओं द्वारा किए गए कोरे वादे और झूठे वादे अब नहीं चलेंगे। अगर पानी की योजना के लिए अगर धरना प्रदर्शन भी करना पड़े तो अब हम लोग उसमें भी पीछे नहीं रहेंगे। क्या करना ऐसे प्रतिनिधि चुनकर जोकि क्षेत्र का विकास ना कर सके।

हमारे वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र सिंह रावत ने इस बारे में कई बार बात की है और वह बताते हैं कि यह समस्या आज से नहीं बल्कि लगभग 25 वर्षों से चल रही है, कई बार सरकारी प्रशासन को इस बारे में अवगत कराया गया है और यहां तक की पिछले दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की घोषणा के बावजूद भी यह पंपिंग योजना नहीं हो पाई है, जो बड़े खेद और सोच का विषय है, इसलिए जब हमने इस बारे में ग्रामीणों से बात की तो सभी ने कहा कि अगर इस बार हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो हम विधानसभा चुनाव का पूरी तरह से बहिष्कार करेंगे।