श्रीनगर , PAHAAD NEWS TEAM

मुख्य कोषागार पौड़ी में कार्यरत एक लेखा लिपिक की ओर से पेंशनभोगियों के खातों से 15 लाख रुपये से अधिक के गबन का मामला सामने आया है. उप कोषाधिकारी पौड़ी की शिकायत पर पुलिस ने लेखा लिपिक के खिलाफ सरकारी धन के गबन और दस्तावेज गुम होने का मामला दर्ज किया है. कोतवाल पौड़ी विनोद गुसाईं मामले की जांच कर रहे हैं।

बताया जा रहा है कि लेखा लिपिक नितिन पेंशनभोगियों के खातों से तीन से अधिक खातों में लंबे समय से पैसा डाल रहा था. मुख्य कोषाधिकारी पौड़ी गिरीश चंद्र ने बताया कि सूचना मिली थी कि पौड़ी मुख्य कोषागार में पेंशनभोगियों के खातों से धन का गबन किया जा रहा है. जिसके बाद विभाग ने जांच में पाया कि तीन से अधिक खातों में अनाधिकृत रूप से जमा किया गया है. उन्होंने बताया कि यह पैसा लिपिक नितिन रावत और उप कोषागार श्रीनगर के एक कर्मचारी के अलावा अन्य खातों में जा रहा था.

सीटीओ चंद्रा ने कहा कि नितिन रावत द्वारा 15 लाख 36 हजार 362 रुपये के सरकारी धन का गबन किया गया है. इसके साथ ही सरकारी फाइलें भी गायब हो गई हैं। मामले में उप कोषाधिकारी पौड़ी राजेश कुमार ने पुलिस को शिकायत दी है. कोतवाल विनोद गुसाईं ने बताया कि मुख्य कोषागार के लेखा लिपिक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. जल्द ही मामले का खुलासा किया जाएगा।

टिहरी के कोषागार में भी हुआ था घोटाला : नई टिहरी कोषागार में करोड़ों रुपये का गबन करने वाले सात आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. 29 दिसंबर 2021 को नई टिहरी सहायक कोषाधिकारी अरविंद चौहान ने नई टिहरी कोतवाली में लेखाकार कोषाध्यक्ष जयप्रकाश शाह, यशपाल सिंह नेगी, पीआरडी जवान सुरेंद्र सिंह पंवार, खाताधारक मनोज कुमार के खिलाफ मामला दर्ज कराया था.

मामले में आरोप लगाया गया है कि नई टिहरी कोषागार में कार्यरत लेखापालों जयप्रकाश शाह, यशपाल सिंह नेगी ने खाता धारकों के साथ मिलकर पिछले कुछ सालों से कोषागार के ई-कोष पोर्टल पर लॉगिन कर पेंशनर्स के डाटा में छेड़छाड़ कर पेंशनर्स के बैंक खातों के स्थान पर स्वयं अपने तथा अपने परिचितों के खातों में फर्जी तरीके से पेंशन व एरियर का भुगतान कर सरकारी धन का गबन किया ।

इस मामले में कोतवाली नई टिहरी में मामला दर्ज किया गया था। पहली जांच में 2 करोड़ 21 लाख 23 हजार 150 रुपए का घोटाला सामने आया। जांच के दौरान सबसे पहले प्रकाश में सोम प्रकाश पुत्र पदम लाल, सागर पुत्र राजकुमार, दीपक पुत्र सूरज सैनी का नाम सामने आया। आरोप है कि कोषागार के कर्मचारियों ने इन तीनों खाताधारकों के खातों में पैसा डालकर गबन किया.

ऐसे करते थे गबन: पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे ज्यादातर पेंशन की फाइलों को सुलझाते थे, जिन पेंशनरों की मौत हो चुकी है. ई-पोर्टल में उनके जीआरडी नंबर पर उन्हें जिंदा दिखाने के बाद उनके खाते और नाम पर उनके परिचितों का खाता नंबर और नाम डाल दिया करते थे. जिसके बाद पेंशनभोगियों का पैसा उनके परिचितों के खाते में आ जाता था। इसके बाद वह अपने परिचितों को कमीशन के तौर पर कुछ रुपये देकर बाकी पैसे वापस ले लेते थे । इस तरह वे ठगी की वारदात को अंजाम देते थे।