हल्द्वानी , PAHAAD NEWS TEAM

वन अनुसंधान केंद्र अपनी कई उपलब्धियों के लिए जाना जाता है. हल्द्वानी का वन अनुसंधान केंद्र जैव विविधता के साथ-साथ विलुप्त प्रजातियों के पौधों और वनस्पतियों के संरक्षण के लिए काम करता है। इसके तहत अनुसंधान केंद्र में एक परागणकर्ता पार्क विकसित किया गया है, जहां परागण करने वाले जानवरों, पक्षियों, तितलियों और पतंगों का प्राकृतिक आवास तैयार किया गया है। जिसमें मधुमक्खियों, पक्षियों और कीट पतंगों की कई तरह की प्रजातियां देखने को मिल रही हैं।

आपको बता दें कि देश के पहले पोलिनेटर पार्क की स्थापना 29 दिसंबर 2020 को हुई थी। जो अब पूरी तरह से विकसित हो चुका है। यह पार्क मधुमक्खियों और पक्षियों के अलावा तितलियों की 40 से अधिक विभिन्न प्रजातियों का घर है। लगभग 4 एकड़ वन भूमि पर बने इस पार्क ने इन दिनों सुंदर रूप धारण कर लिया है और यहां तरह-तरह के जानवर, पक्षी, तितलियां और कीट पतंगे देखने को मिल रहे हैं, जो अपने परागण से इस पार्क को और विकसित कर रहे हैं। इन परागण करने वाले जीवों के लिए अनुसंधान केंद्र द्वारा विभिन्न प्रकार के फूल, पौधे और पेड़ भी स्थापित किए गए हैं, जो कि परागण करने वाले जानवरों का निवास स्थान भी है। बता दें कि पार्क में तितलियों की 40 से अधिक प्रजातियों के अलावा कीट पतंगों की 15 से 20 प्रजातियां भी शामिल हैं।

वन संधान केंद्र के वन अधिकारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि इस पार्क को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य परागण करने वाली प्रजातियों का संरक्षण करना है. इन प्रजातियों के संरक्षण के महत्व के बारे में सामान्य रूप से लोगों में जागरूकता पैदा करना और परागण के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान को बढ़ावा देना। क्योंकि कीटनाशक रसायनों और प्रदूषण के कारण कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं।

अनुसंधान केंद्र की वन कांस्टेबल प्रियंका बिष्ट ने बताया कि पार्क को बेहतर और सुंदर बनाने के लिए विभिन्न प्रजातियों के फूलों के पौधे और पेड़ लगाए गए हैं. इन्हें राज्य के कई हिस्सों से लाया गया है। ताकि परागण करने वाले जीव जंतु परागण के माध्यम से इन लुप्त हो रहे पौधों और वनस्पतियों को और विकसित कर सकें।