देहरादून , पहाड़ न्यूज टीम

सामाजिक संगठनों और पर्यावरण प्रेमियों ने सहस्त्रधारा रोड चौड़ीकरण में करीब 22 सौ पेड़ काटने की योजना का विरोध किया है. पर्यावरणविदों का कहना है कि अब उन्हें विकास के नाम पर किसी भी हाल में पेड़ काटने की इजाजत नहीं है। उन्होंने लोगों से देहरादून में पेड़ों को बचाने की अपील की है।

सिटीजन फॉर ग्रीन दून सचिव हिमांशु अरोड़ा ने कहा कि स्मार्ट सिटी के साथ-साथ ग्रीन दून पर भी ध्यान देना जरूरी है। हिल स्टेशन पर हरियाली देखने की आस में पर्यटक आते हैं। हरियाली नहीं तो हिल स्टेशन पर पर्यटक क्यों आएंगे? उन्होंने बताया कि देहरादून में तापमान दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है. जिससे भीषण गर्मी का प्रकोप देखा जा रहा है. पर्यटन यहां की अर्थव्यवस्था का आधार है। चौड़ीकरण के नाम पर यदि हरे पेड़ों को काटा जाए तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। हमें ऐसे विकास मॉडल लाने होंगे, जिनसे हरियाली बनी रहे और विकास भी हो।

पेड़ों पर आरी लगाने की बजाय हटाएं बिजली के खंभे और अतिक्रमण : वहीं पर्यावरण प्रेमी नीलेश का कहना है कि देहरादून में सड़क चौड़ीकरण के लिए दुर्लभ पेड़ों को भी काटा गया, लेकिन ट्रैफिक की समस्या जस की तस बनी हुई है. ट्रैफिक की समस्या विकराल हो गई है। उन्होंने कहा कि सहस्त्रधारा रोड पर पेड़ों पर आरी लगाने के बजाय बिजली के खंभे और अतिक्रमण को हटाया जाए. उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति और स्मार्ट सिटी के तहत दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करता है. नीलेश ने कहा कि सभी पेड़ों को काटकर सड़क को चौड़ा करना ठीक नहीं है।

इधर, सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण प्रेमी इरा चौहान ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण को रोकने के साथ-साथ पक्षियों को भी बचाने के लिए पेड़ों को बचाने की जरूरत है. सहस्त्रधारा रोड पर यूकेलिप्टस के कई पेड़ हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि ये पेड़ किसी काम के नहीं हैं। जबकि एक शोध के अनुसार यूकेलिप्टस की जड़ें डेढ़ से दो मीटर गहरी होती है