देहरादून, पहाड़ न्यूज टीम

मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे ने विधानसभा चुनाव में सियासी हलचल तेज कर दी है. वहीं, उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर कांग्रेस के भीतर नूरा-कुश्ती अभी भी जारी है। ये वही मुद्दा है जिसे चुनाव में सामने लाकर पार्टी को भारी नुकसान हुआ है. खास बात यह है कि विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी यह मुद्दा कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ रहा है और पार्टी के नेता खुद बीजेपी को इस पर फ्रंट फुट पर आने का मौका दे रहे हैं.

मुस्लिम यूनिवर्सिटी का जिन्न पीछा नहीं छोड़ रहा: उत्तराखंड कांग्रेस अभी भी मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर सबक लेने को तैयार नहीं है, जिसने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भूचाल ला दिया था, या यूं कहें कि उत्तराखंड कांग्रेस का पीछा मुस्लिम विश्वविद्यालय का जिन्न नहीं छोड़ रहा है। कांग्रेस के खिलाफ पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह समेत पूरी बीजेपी ने जिस मुद्दे को भुनाया है, उससे कांग्रेस अब भी सबक लेने को तैयार नहीं है.

बैठक में जोरदार बहस : खबर है कि बैठक के दौरान उत्तराखंड में कांग्रेस नेताओं के बीच मुस्लिम विश्वविद्यालय को लेकर जबरदस्त बहस हुई, स्थिति यह रही कि बैठक में कांग्रेस के कई नेता मुस्लिम विश्वविद्यालय के पक्ष में खड़े हुए तो कुछ ने इसका विरोध भी किया. इतना ही नहीं पूर्व सीएम हरीश रावत अपने कार्यकाल के दौरान जुमे की नमाज के लिए दी गई छुट्टी के मामले पर फिर से सार्वजनिक रूप से सामने आए क्योंकि वह मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पक्ष में: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण महरा ने स्पष्ट कर दिया है कि वे भी व्यक्तिगत रूप से इस पक्ष में हैं कि शिक्षा के लिए ऐसे संस्थान स्थापित किए जाएं। उधर, भाजपा के मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान का कहना है कि कांग्रेस तुष्टीकरण की राजनीति करना जानती है और प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिर रहा है, लेकिन इसके बावजूद अपनी ऐसी राजनीति से पार्टी बाज नहीं आ रही है ।

तुष्टीकरण की राजनीति करने वाली कोई भी पार्टी किसी के लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकती है, लेकिन यह समाज के लिए बेहद घातक साबित होती है। हालांकि, जब राजनीति की बात आती है तो तुष्टिकरण के मुद्दे ज्यादातर कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए आने वाले 2024 में मुस्लिम यूनिवर्सिटी या इसी तरह के अन्य विषयों पर कांग्रेस नेताओं के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।

यहां से उठा मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा : दरअसल विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड में कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद का एक वीडियो वायरल हुआ था. वायरल वीडियो में अकील अहमद यह कहते नजर आ रहे हैं कि उन्होंने सहसपुर विधानसभा सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनसे वादा किया है कि अगर उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुस्लिम छात्रों के लिए विश्वविद्यालय बनेगा, इसलिए उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया.

अकील अहमद की सफाई: वायरल वीडियो के बयान पर अकील अहमद ने सफाई दी थी कि उन्होंने हरीश रावत से मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने के लिए बात जरूर की थी, लेकिन हरीश रावत ने उनसे कोई वादा नहीं किया. अकील अहमद ने कहा कि राज्य में 18 फीसदी मुसलमान हैं. उनके लिए एक विश्वविद्यालय होना चाहिए। हालांकि कांग्रेस इस पर राजी नहीं हुई है। बावजूद इसके इस बयान पर विवाद गहराने लगा। वहीं हरीश रावत ने दावा किया कि कांग्रेस के किसी भी नेता ने उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग नहीं की.