देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM

यूपी उत्तराखंड के परिसंपत्ति वितरण को लेकर आज का दिन अहम है. कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने परिसंपत्ति के बंटवारे को लेकर आज होने वाली चर्चा की जानकारी दी. हालांकि परिसंपत्ति का बंटवारा भी विवाद का कारण बनता जा रहा है। भाकपा (माले) की राज्य समिति के सदस्य इन्द्रेश मैखुरी ने परिसंपत्ति के बंटवारे पर नाराजगी जताई है.

आज गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में हरिद्वार में अलकनंदा गेस्ट हाउस को उत्तर प्रदेश उत्तराखंड को सौंपेगा. वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पास में बने नए भागीरथी गेस्ट हाउस का उद्घाटन करेंगे. यह गेस्ट हाउस उत्तर प्रदेश का गेस्ट हाउस होगा। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने आज होने वाले अन्य समझौतों की चर्चा की भी जानकारी दी.

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि गुरुवार का दिन उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के संबंधों के लिए काफी अहम रहने वाला है। क्योंकि आज अलकनंदा और भागीरथी गेस्ट हाउस ही नहीं बल्कि कई अन्य मामलों पर भी निर्णायक फैसला होगा. इसमें सिंचाई विभाग की कई नहरों व बांधों को लेकर चर्चा होनी है. वहीं सतपाल महाराज ने बताया कि लंबे समय से इन सभी विषयों पर चर्चा चल रही है. लेकिन अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में केंद्र की भाजपा सरकार के कारण ये मामले सुलझेंगे. वहीं सतपाल महाराज ने कहा कि पहली बार दोनों राज्यों और केंद्र में मजबूत सरकार है, जो वर्षों से लंबित मामले पर फैसला लेगी.
विवाद भी हैं : यूपी के साथ संपत्ति के बंटवारे को लेकर भी विवाद है। दरअसल, हरिद्वार में कुंभ मेले के लिए उपयोग की जाने वाली कुल 697.576 हेक्टेयर भूमि के संबंध में यह निर्णय लिया गया है कि उक्त भूमि उत्तराखंड को हस्तांतरित नहीं की जाएगी. बल्कि इसका स्वामित्व उत्तर प्रदेश के पास होगा और कुंभ मेला और अन्य आवश्यक उद्देश्यों के लिए अनुमति दी जाएगी। यानी उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थित कुंभ मेला क्षेत्र न केवल उत्तर प्रदेश को दिया गया है, बल्कि उत्तराखंड को भी इस पर कोई कार्यक्रम आयोजित करने के लिए उत्तर प्रदेश से अनुमति लेने का प्रावधान किया गया है. इससे लोग नाराज हैं।

बांधों और जलाशयों को लेकर विवाद : इसी तरह उधमसिंह नगर जिले के धौरा, बेगुल एवं नानक सागर बांध एवं जलाशय में जल क्रीड़ा और पर्यटन के लिए उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग द्वारा उत्तराखंड को अनुमति दी गई है. लोग पूछ रहे हैं कि उत्तराखंड की जमीन पर स्थित इन जलाशयों का मालिकाना हक उत्तराखंड के पास क्यों नहीं है? जिस तरह से टिहरी बांध में उत्तराखंड की हिस्सेदारी खत्म की गई, वह भी कुछ ऐसा ही मामला है। इस पर लोग नाराजगी भी जता रहे हैं.