नैनीताल , PAHAAD NEWS TEAM

कुमाऊं में 18 व 19 अक्टूबर की रात हुई आपदा को कोई नहीं भूल सकता. आपदा से हुई तबाही के जख्म आज भी ताजा हैं। वहीं नैनीताल का झील शहर अपने पर्यटन और मौसम के लिए पूरे देश में जाना जाता है और यहां हर साल लाखों पर्यटक पहुंचते हैं, लेकिन इन दिनों उत्तराखंड के सभी पर्यटन स्थल वीरान हैं।

गौरतलब है कि पिछले दिनों नैनीताल जिले में आई आपदा के बाद से देशभर के पर्यटकों के दिलों में खौफ है. यही कारण है कि आज नैनीताल समेत उत्तराखंड के अधिकतर पर्यटन स्थल खाली हो गए हैं। 18 अक्टूबर को नैनीताल जिले में आई आपदा से उत्तराखंड का पर्यटन व्यवसाय ठप हो गया है। पर्यटकों के दिलों में खौफ इस कदर व्याप्त है कि नैनीताल, रामगढ़, मुक्तेश्वर समेत पहाड़ी इलाकों में आने वाले पर्यटकों ने अपनी होटल बुकिंग कैंसिल कर दी है. अकेले नैनीताल जिले में ही 95 फीसदी होटल बुकिंग कैंसिल हैं।

होटल व्यवसायियों का कहना है कि दिवाली के समय नैनीताल पर्यटन व्यवसाय के लिए उपयुक्त था और दिवाली के अवसर पर दिल्ली, मुंबई, गुजरात, कोलकाता सहित आसपास के महानगरों से हजारों पर्यटक नैनीताल आते थे। लेकिन बीते दिनों नैनीताल जिले में आई आपदा से पर्यटक डरे हुए हैं और होटलों की बुकिंग कैंसिल कर रहे हैं.

होटल व्यवसायी वेद व्यास का कहना है कि 15 नवंबर तक नैनीताल के होटलों में बुकिंग हो चुकी थी और 18 अक्टूबर को आई आपदा के बाद पर्यटकों ने सभी बुकिंग रद्द कर दी है. अब नैनीताल समेत आसपास के पर्यटन स्थलों के दर्शन करने के लिए आसपास के क्षेत्र से ही लोग पहुंच रहे हैं। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश शाह का कहना है कि नैनीताल में पर्यटकों के न आने से होटल व्यवसाय प्रभावित हुआ है, स्थिति इतनी खराब है कि होटल व्यवसायियों के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं हैं.

वहीं आईजी कुमाऊं नीलेश आनंद भरणे का कहना है कि पर्यटकों को नैनीताल का रुख करना चाहिए. नैनीताल में आपदा के बाद स्थिति पूरी तरह सामान्य है, यातायात की स्थिति में भी सुधार हुआ है और मौसम काफी सुहावना बना हुआ है. इसलिए पर्यटकों को बिना डरे नैनीताल समेत उत्तराखंड के पर्यटकों की तरफ आना चाहिए । पुलिस महकमा भी पर्यटकों के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार है।