उत्तरकाशी ,पहाड़ न्यूज़ टीम

ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के नाम पर गोमुख ग्लेशियर के पास दो लाख से अधिक देवदार के पेड़ों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. पर्यावरणविदों का कहना है कि मध्य हिमालय क्षेत्र के विकास का नया पैटर्न स्थानीय पर्यावरण पारिस्थितिकी और जीवन पर भारी पड़ रहा है क्योंकि सड़क चौड़ीकरण, प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएं और सुरंगों का निर्माण हिमालयी क्षेत्र की अस्थिरता को बढ़ा रहा है।

इस संबंध में पर्यावरणविद सुरेश भाई ने कहा कि 12 हजार करोड़ रुपये की 881 किलोमीटर लंबी चारधाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत दो लाख से अधिक छोटे-बड़े पेड़ संकट में आ गए हैं. उन्होंने कहा कि मध्य हिमालय में स्थित उत्तराखंड के गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ और पिथौरागढ़ तक पहुंचने वाली सड़कों को चौड़ा करने का काम 2016 से चल रहा है, जो केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है.

उन्होंने कहा कि चौड़ीकरण के दौरान मलबा सीधे गंगा में फेंका जा रहा है. इस दौरान विस्फोटों और विशाल जेसीबी मशीनों के इस्तेमाल से पहाड़ अस्थिर हो गए हैं. उन्होंने कहा कि पहाड़ी इलाकों में कई जगहों पर उपजाऊ मिट्टी बर्बाद हो गई है, जिससे पूरे पहाड़ और मैदानी इलाकों में माहौल खराब हो गया है. सुरेश भाई ने बताया कि गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर अभी 15 किलोमीटर का काम होना बाकी है, जिस पर देवदार जैसे दुर्लभ प्रजाति के पेड़ हैं और जिन्हें काटना है.

अधिकांश पेड़ सुक्खी बैंड से और झाला नामक स्थान तक के हैं। यदि रेखांकन के समय सड़क का मार्ग थोड़ा बदल दिया जाता तो सैकड़ों पेड़ों को बचाया जा सकता था। वहीं समाजसेवी संजय राणा ने कहा कि आज इतनी गर्मी पड़ रही है और ग्लेशियर पिघल रहे हैं. यह सब पर्यावरण असंतुलन के कारण हो रहा है। इस दौरान प्रोफेसर वीरेंद्र पैन्यूली ने भी सरकार से पर्यावरण को ध्यान में रखकर विकास योजनाएं बनाने की अपील की है.

सुरेश भाई का कहना है कि पिछले सात-आठ साल में देश में करीब 25 लाख पेड़ काटे गए हैं. वहीं, ऑल वेदर रोड के नाम पर करीब 50 हजार पेड़ काटे जा चुके हैं। चौड़ीकरण के नाम पर काटे गए पेड़ों के आसपास के छोटे-छोटे पेड़ों को भी काटा गया, जिसका कोई आंकड़ा वन विभाग के पास उपलब्ध नहीं है।