देहरादून, PAHAAD NEWS TEAM

वैसे तो दुनिया भर में पानी और जंगलों को बचाने के लिए सैकड़ों अभियान चल रहे हैं, लेकिन देहरादून के सिंधवाल गांव के लोगों ने जो मिसाल कायम की है वह शायद अपने आप में अनोखी है. यहां अपनी उम्र पूरी कर चुके एक पेड़ को विधिविधान से अंतिम विदाई दी गई। साथ ही इसके स्थान पर एक नया पौधा भी लगाया गया।

दरअसल सिंधवाल गांव ग्राम सभा के मुड़िया गांव में करीब 150 साल पुराना पीपल का पेड़ गिर गया था. ऐसे में पूजा पाठ के बीच ग्रामीणों ने इस पेड़ के चबूतरे के पास एक नया पीपल का पौधा लगाया. ग्रामीणों का कहना है कि करीब डेढ़ माह पूर्व आंधी में वर्षों पुराना पीपल का पेड़ गिर गया था। इस पेड़ से हमारी भावनाएं जुड़ी हुई थीं, यही हमारे गांव की पहचान थी। पेड़ के गिरने से हमें बहुत दुख है।

सिंधवाल गांव के प्रधान प्रदीप ने बताया कि किसी भी शुभ कार्य में पीपल के पेड़ पर पूजा का विधान है और यह वृक्ष हमारे गांव और पूर्वजों के जीवन का साक्षी रहा है. वहीं पीपल का पेड़ गिरने से सिंधवाल गांव समेत कई गांवों के रास्ते बंद हो गए. ऐसे में इस पेड़ को रास्ते से हटाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी.

ग्राम प्रधान प्रदीप ने बताया कि किसी तरह पेड़ काटने वालों का इंतजाम हो पाया और उसे हटाकर रास्ता खोल दिया गया. जेसीबी की मदद से पीपल के पेड़ की जड़ों को बाहर निकाला गया। इसके लिए पूरा चबूतरा उखाड़ना पड़ा। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने चबूतरे को बनाने के लिए कई टन भारी पत्थर लगाए थे। इतने भारी पत्थर कहाँ से लाये होंगे और यहाँ कैसे लगाये होंगे, उन्हें कुछ पता नहीं है।

वहीं ग्रामीणों मेहर सिंह, मनोहर, हरि सिंह, धर्म सिंह, भरत सिंह, तेज पाल सिंह, शूरवीर, मोहन लाल, गोविंद ने पुराने पीपल के पेड़ को विदा कर उसकी जगह नया पीपल का पेड़ लगाया. ग्राम प्रधान प्रदीप ने बताया कि इसके लिए पूजा स्थल और स्थान का शुद्धिकरण किया गया और विधि विधान से एक नया पीपल का वृक्ष लगाया गया।