देहरादून, PAHAAD NEWS TEAM

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने नाम वापसी लेने से पहले बागियों को बैठाने की पूरी ताकत झोंक दी है. इस कड़ी में वरिष्ठ नेताओं को सबसे आगे रखा गया है. कुछ सीटों पर असंतोष दूर करने के प्रयासों में कुछ हद तक सफलता मिली है। इससे वहां बागियों के तेवर नरम पड़ गए हैं, लेकिन असली तस्वीर सोमवार को नामांकन वापस लेने के बाद ही सामने आएगी.

विधानसभा चुनाव के टिकट बंटवारे के बाद दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस विभिन्न सीटों पर कार्यकर्ताओं के विद्रोही रवैये से जूझ रहे हैं. 16 सीटों पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है. इसी तरह कांग्रेस की 10 सीटों के लिए बागियों ने नामांकन दाखिल किया है। हालांकि नामांकन के बाद से ही दोनों पार्टियां बागियों को मनाने में लगी हुई हैं. इसमें उनके स्थानीय संपर्कों को ढूंढ़कर उन तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है, इसलिए दोनों पार्टियों ने इस काम में प्रांतीय नेताओं को लगाया है. कुछ नेताओं को जिम्मेदारी देकर क्षेत्रों में भेजा गया है।

बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट को कुमाऊं और पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को हरिद्वार और पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद तीरथ सिंह रावत को गढ़वाल क्षेत्र में डैमेज कंट्रोल का जिम्मा सौंपा है. इसके साथ ही संबंधित जिलों के प्रभारी मंत्री, पार्टी के प्रांतीय नेताओं को भी नियुक्त किया गया है। इसी तरह कांग्रेस ने भी बागियों को मनाने के लिए अपने नेताओं को उतारा है. दोनों पार्टियों को कुछ सीटों पर सफलता तो मिली है, लेकिन असमंजस का कोहरा अभी टला नहीं है. बीजेपी और कांग्रेस की यह मेहनत कितना कुछ लेकर आती है, इसे लेकर सोमवार को स्थिति साफ हो जाएगी.

इन सीटों पर विद्रोही रवैया है।

बीजेपी

रुद्रपुर, कालाढूंगी, भीमताल, लालकुंआ, द्वारहाट, कोटद्वार, देहरादून कैंट, धर्मपुर, डोईवाला, ऋषिकेश, धनोल्टी, घनसाली, यमुनोत्री, कर्णप्रयाग, रुड़की व पिरान कलियर।

कांग्रेस

लालकुंआ, रामनगर, बागेश्वर, किच्छा, यमुनोत्री, घनसाली, रुदप्र्रयाग, सहसपुर, रायपुर व ऋषिकेश