कोटद्वार , PAHAAD NEWS TEAM.
ऐतिहासिक कण्वाश्रम में पर्यटन विकास के नाम पर बनी कोई भी सरकारी योजना आज तक धरातल पर नहीं उतरी. इस बीच कण्वाश्रम में सिंचाई विभाग द्वारा मालन नदी पर बने साइफन ने कण्वाश्रम में पसरे सन्नाटे को तोड़ने का प्रयास अवश्य किया है. इस साइफन से गिरते पानी को देखने के लिए इन दिनों बड़ी संख्या में लोग कोटद्वार और आसपास के इलाकों में पहुंच रहे हैं.
ऐतिहासिक कण्वाश्रम में पर्यटन विकास के नाम पर प्रदेश के गठन के बाद से लेकर अब तक कई योजनाएं बनी हैं। लेकिन, सरकारी फाइलों से कोई योजना सामने नहीं आई। प्रदेश छोड़ो, केंद्र सरकार की योजनाएं भी फाइलों में दबी हैं। आपको बता दें कि 2018 में केंद्र सरकार ने कण्वाश्रम को देश के स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थानों की सूची में शामिल किया था। जिसके तहत केंद्र सरकार को कण्वाश्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्वच्छता व्यवस्था बनाने के साथ-साथ ढांचागत सुविधाओं का विकास करना था। लेकिन, तीन साल बीत जाने के बाद भी यह विकास आज तक कहीं नहीं देखा गया। इधर, राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने दिसंबर 2018 में एडीबी सहायता प्राप्त पर्यटन बुनियादी ढांचे, विकास, निवेश कार्यक्रम के तहत 25 करोड़ कण्वाश्रम पर्यटन विकास परियोजना की आधारशिला रखी थी. तीन साल होने जा रहे हैं, लेकिन आज तक एक ईंट भी नहीं दिखी. इस योजना के नाम पर।
साइफन पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है
कण्वाश्रम में सरकार की करोड़ों की योजनाएं शायद फाइलों से बाहर नहीं निकल पाई हैं। लेकिन, अंग्रेजों के जमाने में बने साइफन ने पर्यटकों का ध्यान जरूर खींचा। कलालघाटी क्षेत्र में सिंचाई के पानी की आपूर्ति के लिए 1884 में मालन नदी में एक साइफन का निर्माण किया गया था। साइफन से गिरने वाला पानी बायीं मालन नहर के रास्ते खेतों में पहुंच गया। रख-रखाव के अभाव में साइफन खराब हो गया और मालन नदी में समा गया। वर्ष 2017-18 में सिंचाई विभाग दुगड्डा खंड द्वारा इस साइफन की मरम्मत की गई थी और आज भी यह साइफन कोटद्वार और आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस साइफन में प्रतिदिन बड़ी संख्या में क्षेत्रीय लोग आते हैं और जलप्रपात का आनंद लेते हैं। यहां सेल्फी भी लेते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि कण्वाश्रम में एक बार फिर पर्यटन विकास केवल ब्रिटिश शासन के दम पर ही फल-फूल रहा है।
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