चमोली , PAHAAD NEWS TEAM

कीड़ाजड़ी लेकर चमोली से देहरादून पहुंचे एक आरोपी को राजपुर थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के पास से 320 ग्राम कीड़ाजड़ी बरामद किया गया है, पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। एसओ राकेश शाह ने बताया कि सूचना मिली थी कि आईटी पार्क में कीड़ाजड़ी की आपूर्ति होने वाली है. आईटी पार्क चौकी प्रभारी ताजबर सिंह नेगी को वाहनों की जांच करने को कहा गया। जानकारी के अनुसार पुलिस टीम ने धोरण रोड पर पैदल जा रहे एक व्यक्ति को रोका और उसकी तलाशी ली. व्यक्ति के बैग से कीड़ाजड़ी का एक डिब्बा बरामद किया गया। पहचान के लिए वन विभाग में कार्यरत वन निरीक्षक पूरण सिंह रावत को मौके पर बुलाया गया, जिन्होंने कीड़ाजड़ी होने की पुष्टि की।

आरोपी की पहचान सोंधोवाली राजपुर निवासी आलोक मिश्रा के रूप में हुई है। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि कीड़ाजड़ी हिमालय में मिलती है, जिसे उसने अपने पैतृक गांव चमोली से सस्ते दामों पर खरीदा था। एसओ ने बताया कि आरोपी के पास से दो मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं, जिससे पता चल सकेगा कि उसके संपर्क में कौन लोग हैं।

कीड़ा जड़ी क्या है?

उच्च हिमालय में, बहु औषधीय कवक कार्डिसेप्स-साईनेसिंस को स्थानीय भाषा में कीड़ा घास नाम से जाना जाता है। कीड़ाजड़ी हिमालय और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में समुद्र तल से 3200 से 4800 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। यह फफूंद थीटारोडस प्रजाति के कीट का लारवा है, जो एक पूर्ण परजीवी है। सर्दियों की शुरुआत में, यह लारवा डायपाज अवस्था में जमीन में प्रवेश करता है और संक्रमण के कारण मर जाता है। गर्मी शुरू होते ही फफूंद की फूटिंग बाडी लारवा के शीर्ष में बाहर आ जाती है। जिससे स्थानीय लोग इसे कीड़ा घास के नाम से जानते हैं।

कीड़ा जड़ी यहाँ पाई जाती है

पिथौरागढ़ के उच्च हिमालय में पोटिंग ग्लेशियर क्षेत्र चमोली और उत्तरकाशी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों के अलावा लास्पा, बुर्फू, रालम, नागनीधुरा, महोरपान, दर्ती ग्वार, छिपलाकेदार, दारमा, व्यास में पाए जाते हैं। चीन में इसका इस्तेमाल दो साल से किया जा रहा है। चीन के बाद नेपाल और भूटान में इसका इस्तेमाल किया जाने लगा। भारत में भी पिछले ढाई दशक से इसका दोहन हो रहा है।