देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM

राज्य के जरूरतमंद बच्चों को समान शिक्षा के अवसर प्रदान करने और शिक्षा प्रणाली के उत्थान के लिए सरकारी माध्यमिक (सीटी संवर्ग) शिक्षक संघ आगे आया है। संघ का हर सदस्य हर साल पाँच ज़रूरतमंद बच्चों को गोद लेकर उनकी स्कूली शिक्षा पर विशेष ध्यान देगा। जरूरत पड़ने पर ऐसे छात्रों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी। शिक्षकों ने संघ के पहले अधिवेशन में यह संकल्प लिया।

रविवार को एमकेपी इंटर कॉलेज में में हुए अधिवेशन में नई शिक्षा नीति और राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर भी चर्चा हुई। अधिवेशन का उद्घाटन पूर्व राज्य निर्वाचन आयुक्त और पूर्व शिक्षा सचिव सुवद्र्धन, पूर्व शिक्षा निदेशक चंद्र सिंह ग्वाल, पूर्व सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल और अन्य संघ के अधिकारियों ने किया। पूर्व शिक्षा सचिव सुवद्र्धन ने कहा कि नई शिक्षा नीति आधुनिक समय की आवश्यकता के अनुसार तैयार की गई है। इसे गंभीरता से लागू करने की जरूरत है। आज सभी को शिक्षा देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि समान शिक्षा प्रदान करना भी आवश्यक है। उन्होंने मजाकिया अंदाज में आगे कहा कि केवल चाय-पकौड़ी खाने के लिए इकट्ठा होने से कोई फायदा नहीं है, हमें शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की भी जरूरत है।

प्राथमिक शिक्षा क्षेत्रीय भाषा में दिए जाने का प्रविधान एक महत्वपूर्ण कदम है।

पूर्व शिक्षा निदेशक चंद्र सिंह ग्वाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा क्षेत्रीय भाषा में दिए जाने का प्रविधान एक महत्वपूर्ण कदम है। भविष्य में इस नीति के बेहतर परिणाम दिखाई देंगे। इसके बाद, पूर्व सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल और एमकेपी इंटर कॉलेज प्रबंधन समिति के सचिव जितेंद्र सिंह नेगी ने नई शिक्षा नीति पर भी चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन संगठन के महासचिव बीरेंद्र सिंह कुंवर ने किया। इस अवसर पर संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष निर्मला पंत, उपाध्यक्ष वीरपाल सिंह रावत, कोषाध्यक्ष डॉ. शिवानी राणा चंदेल, सह कोषाध्यक्ष ओमप्रकाश नौटियाल, संगठन सचिव मीना पांडेय, ठाकुर सिंह चौहान, संयुक्त सचिव भुवनेश्वरी नेगी, मीडिया प्रभारी गिरीश प्रसाद कोटियाल समेत राज्य से जुटे शिक्षक उपस्थित रहे ।

कार्य दिवस पर कोई संघर्ष नहीं

अधिवेशन में संघ के प्रांतीय अध्यक्ष अजय राजपूत ने कहा कि सीटी संवर्ग का एक अलग संगठन बनाने का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में काम करना है। संगठन पहाड़ी जिलों के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए विशेष प्रयास करेगा। संगठन ने कार्य दिवस में अपनी मांगों को लेकर विरोध जताने, कार्य बहिष्कार और हड़ताल न करने का फैसला लिया है । राजपूत ने कहा कि संघ के आम सदस्यों से सदस्यता शुल्क नहीं लेने का भी निर्णय लिया गया है। हालाँकि, इसके लिए शिक्षकों को अपने स्कूल के पाँच जरूरतमंद बच्चों को गोद लेना होगा।