पौडी, PAHAAD NEWS TEAM

उत्तराखंड के लोकजगत में जब भी लोकगायकी या लोकसंस्कृति का विवरण होगा तो उसमें नरेंद्र सिंह नेगी जी  का जिक्र जरूर होगा। उन्होंने उत्तराखंड की संगीत विरासत को आज जिस मुकाम तक पहुँचाया है वह किसी से छुपा नहीं है, तो आज हम आपको नेगी जी के जीवन से जुडी हर उस कड़ी से रूबरू करवाएंगे जिसे जोड़ते-जोड़ते वो आज इस मुकाम तक आये हैं। आज उन्होंने अपना 72वां जन्मदिन बहुत ही सादगी के साथ मनाया।

बचपन में नरेंद्र सिंह नेगी जी की इच्छा फौज में भर्ती होने की थी जिसके लिए उन्होंने काफी मेहनत भी की और उनका सपना था कि वह एक फौजी बनेंगे। और चलकर अपनी घर की गृहस्थी चलाने में अपने पिता का साथ निभाएंगे,लेकिन काफी मेहनत के बाद भी वह सेना में भर्ती नहीं हो सके।

नरेंद्र सिंह नेगी बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही गीत लिखने की प्रेरणा अपने मां से मिली उन्होंने एक पहाड़ी नारी के जीवन को समझकर उसी सेअपने गीतों की रचना की.किस तरह से एक पहाड़ी नारी संघर्षों से भरा जीवन बिताती है और उसे क्या-क्या झेलना पड़ता है नरेंद्र सिंह नेगी ने उन बिंदुओं को अपने ध्यान में रखकर अपने कई सारे गीत लिखे।

वह प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार जीतने वाले पहले उत्तराखंड लोक गायक हैं, जो उन्होंने 2018 में जीता था। साथ ही उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा केदार सिंह रावत पर्यावरण पुरस्कार से नवाजा गया है।