टिहरी , PAHAAD NEWS TEAM

पांच माह बाद डोबरा-चांठी पुल फसाड लाइट से फिर जगमगा उठा. कोरोना के बढ़ते मामले के बीच जिला प्रशासन ने फसाड लाइट बंद कर दी थी। लेकिन जैसे ही कोरोना की रफ्तार कम होने लगी प्रशासन ने फिर से फसाड लाइट को जलाने के लिए सफल परीक्षण किया. फसाड लाइट के फिर से शुरू होने के बाद क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियां बढ़ेंगी।

टिहरी झील पर बने डोबरा-चांठी पुल का उद्घाटन 8 नवंबर 2020 को किया गया था। डोबरा-चांठी पुल अपने डिजाइन और रोशनी के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पुल पर करोड़ों रुपये की लागत से एडवांस टेक्निकल फसाड लाइट लगाई गई हैं। जो पर्यटकों को काफी आकर्षित करती है और रोशनी को देखने के लिए सैलानी उमड़ पड़ते हैं।

बता दें कि डोबरा-चांठी पुल पर साढ़े 5 करोड़ रुपये की लागत से पुल को फसाड लाइट से सजाया गया है। क्योंकि, कोलकाता के हावड़ा ब्रिज की तर्ज पर फसाड लाइट लगाई गई है, जिसमें रंग-बिरंगी टिमटिमाती लाइटें लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं. यह 42 किमी की विशाल झील पर बना भारत में सबसे लंबा सस्पेंशन मोटरेबल झूला है, जिसे आम जनता के लिए खोल दिया गया है। आम लोगों और पर्यटकों की आवाजाही से डोबरा क्षेत्र में वृद्धि हुई है।

करीब 14 साल बाद तीन अरब रुपये की लागत से बना प्रतापनगर क्षेत्र के लोगों की जीवन रेखा कहे जाने वाला डोबरा-चांठी पुल एक बार फिर जोरों पर है. यह पुल दिन में आम लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, वहीं रात में सामने की रोशनी से जगमगाते इस पुल पर स्थानीय लोगों सहित पर्यटकों की आवाजाही देखी जा रही है.

तीन अरब रुपये की लागत से बना प्रतापनगर क्षेत्र के लोगों की जीवन रेखा कहे जाने वाला डोबरा-चांठी पुल 14 साल बाद फिर पूरे शबाब पर है। पुल जहां आम लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी आकर्षित कर रहा है, वहीं रात के समय फसाड लाइटों से जगमगाते इस पुल पर स्थानीय सहित टूरिस्टों की आवाजाही देखी जा रही है.

डोबरा-चांठी पुल जहां आम लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी आकर्षित कर रहा है, वहीं रात के समय फसाड लाइटों से जगमगाते इस पुल पर स्थानीय सहित टूरिस्टों की आवाजाही काफी देखी जाती रही है..