देहरादून, PAHAAD NEWS TEAM

निकट भविष्य में दिल्ली, मेरठ और देहरादून के बीच आवाजाही करने वाले वाले वाहनों के लिए अब राह आसान होगी है। दिल्ली-दून हाईवे को फोर लेन करने का काम काफी पहले शुरू किया गया था, लेकिन शिवालिक फॉरेस्ट डिवीजन (सहारनपुर) और राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा में सहारनपुर और देहरादून के बीच वन्यजीव संरक्षण के मुद्दे के कारण मामला विलंबित हो गया। हालांकि, एलिवेटेड रोड के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों की सिफारिश से यह पेंच भी हटा दिया गया था। इसी क्रम में अब भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की देहरादून इकाई ने 19.38 किलोमीटर के इस हिस्से को चौड़ा करने के काम के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं.

दिल्ली-दून राजमार्ग के बीच शिवालिक वन प्रभाग और राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा वाले क्षेत्र में सबसे अधिक मोड़ हैं। कॉरिडोर की वजह से यहां के वन्य जीवों को भी खतरा है। इसलिए एनएचएआई के अधिकारियों ने भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों की मदद से इलाके का सर्वेक्षण किया। विशेषज्ञों ने सिफारिश की थी कि गणेशपुर के पास बुढावन नर्सरी के पास से 16 किमी लंबी एलिवेटेड रोड बनाई जाए। ताकि ऊपर से वाहन गुजर सकें और नीचे का क्षेत्र वन्य जीवों के लिए मुक्त रहे। इसी के तहत प्राधिकरण ने काम को दो पैकेज में बांटते हुए दो कंपनियों को टेंडर जारी किए हैं।

टेंडर जारी होने के बाद अब सिर्फ अधिकारी ही हाईकोर्ट की हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं। वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर याचिका कोर्ट में विचाराधीन है। 11 अगस्त को हुई सुनवाई में अधिकारियों ने कोर्ट को बताया है कि भारतीय वन्यजीव संस्थान से सर्वे कर प्रोजेक्ट को आगे ले जाने का फैसला लिया गया है. मामले पर 25 अगस्त को फिर सुनवाई होगी। अधिकारियों को उम्मीद है कि इस बार कोर्ट की हरी झंडी मिल जाएगी।

राजमार्ग परियोजना पर एक नजर

  • देहरादून (आशारोड़ी) से गणेशपुर तक करीब 19.38 किलोमीटर लंबा।
  • निर्माण पर करीब 2060 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
  • आठ-आठ किलोमीटर का एक पैकेज है, जबकि दूसरा 3.38 किलोमीटर का पैकेज है।
  • 3.38 किमी का पैकेज उत्तराखंड की सीमा में डाटकाली मंदिर से आशारोड़ी तक है, जबकि शेष भाग उत्तर प्रदेश की सीमा में है।
  • कार्य पूर्ण होने की अनुमानित अवधि लगभग दो वर्ष।