राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार और एनसीटीई की अपील सुप्रीम कोर्ट में खारिज होने के बाद अब उत्तराखंड के बीएड बेरोजगारों की नजर सुप्रीम कोर्ट के एक और फैसले पर है. इस मामले की सुनवाई 22 अगस्त को होनी है.

प्राथमिक विद्यालयों में बीएड डिग्री के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति न करने के फैसले से उत्तराखंड के डेढ़ लाख से अधिक बीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट राज्य के प्राइमरी स्कूलों में सहायक शिक्षकों के 2600 पदों पर भर्ती मामले की सुनवाई कर रहा है. इस मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बीएड प्रशिक्षित बेरोजगार और राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गए हैं.

2600 में से 70 फीसदी पद भरे हुए हैं. जिसमें चयन के बाद अभ्यर्थियों को डी.एल.एड और बी.एड. बीएड टीईटी प्रथम महासंघ की प्रदेश अध्यक्ष संगीता शाह के मुताबिक, उनके मामले की सुनवाई इसी महीने सुप्रीम कोर्ट में होगी.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सभी बेरोजगारों की नजर है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अगला कदम उठाया जाएगा. याचिकाकर्ता जयवीर सिंह का कहना है कि राजस्थान में सरकार ने शिक्षकों की भर्ती के लिए सेवा नियमों में बीएड अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया है, जबकि उत्तराखंड में नहीं किया है. राज्य में बीएड अभ्यर्थियों के लिए नियमावली में प्रावधान है.

यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है

देहरादून। राज्य सरकार द्वारा पहली बेसिक शिक्षक भर्ती में एनआईओएस के डीएलएड अभ्यर्थियों को भी शामिल करने का निर्णय लिया गया था. इसका आदेश सरकार ने जारी कर दिया है. इस आदेश के बाद अभ्यर्थियों ने शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन किया, लेकिन बाद में सरकार ने आदेश रद्द कर दिया.

इसके खिलाफ एनआईओएस के डीएलएड अभ्यर्थी हाई कोर्ट चले गये. इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें इन अभ्यर्थियों को भर्ती में शामिल न करने का आदेश दिया गया था. हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब मांगते हुए इन्हें भर्ती में शामिल करने का आदेश दिया. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पहले बीएड अभ्यर्थी और फिर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गयी.