गोपेश्वर , PAHAAD NEWS TEAM

ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए हर साल बड़ी राशि खर्च की जा रही है, लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आ रहा है. विकास के नाम पर सिर्फ कागज ही भरे जा रहे हैं। गांवों का विकास कैसे हो रहा है, इसकी बानगी जिला मुख्यालय गोपेश्वर के पास डुंगरी मैकोट गांव में देखी जा सकती है। यहां स्वास्थ्य विभाग ने एएनएम सेंटर बनाया है। लेकिन एक दशक बाद भी केंद्र तक पहुंचने के लिए 300 मीटर पैदल मार्ग नहीं बनाया गया है। ग्रामीणों को मजबूर होकर एएनएम केंद्र तक पहुंचना पड़ता है, पहले उन्हें झाड़ियों के नीचे से गुजरना पड़ता है, उसके बाद अपनी जान जोखिम में डालकर बरसाती गदेरों को पार करना पड़ता है।

एएनएम केंद्र का निर्माण वर्ष 2011 में जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 15 किमी की दूरी पर स्थित मैकोट गांव में किया गया था। एएनएम केंद्र भवन के निर्माण के बाद चिकित्सा विभाग को इस केंद्र पर टीकाकरण सहित अन्य चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिलना शुरू हो गया। लेकिन न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही ग्राम पंचायत एएनएम केंद्र तक पहुंचने के लिए पैदल मार्ग नहीं बना पाई। सड़क मार्ग से एएनएम केंद्र तक पहुंचने के लिए करीब 300 मीटर पैदल चलना पड़ता है। फिलहाल पैदल मार्ग नहीं बनने से एएनएम केंद्र जाने वालों को पहले झाड़ियों के नीचे से गुजरना पड़ता है। उसके बाद ग्रामीणों की मजबूरी है कि वे बरसाती गदेरे को पार कर खुद को व बच्चों को एएनएम केंद्र ले जाएं। डूंगरी गांव की उप प्रधान विनीता देवी का कहना है कि ग्राम पंचायत गांव के विकास के लिए हर साल लाखों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन ग्राम पंचायत भी यहां एक भी फुट सड़क नहीं बना पा रही है। इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है? मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि भवन निर्माण के लिए चिकित्सा विभाग के पास बजट है. इस पर भवन निर्माण कर एएनएम सेंटर संचालित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सड़क का निर्माण ग्राम पंचायत या अन्य मद से प्रशासन द्वारा किया जा सकता है.