चमोली , PAHAAD NEWS TEAM

भीमल के पेड उत्तराखड में हर जगह पाए जाते है | अब तक इसका प्रयोग जानवरों के चारे और रस्सियाँ बनाने में किया जाता था | अब समय के साथ साथ ये रोजगार का दरिया भी बन रहा है | इसके रेशे से शैम्पू भी बनाया जा रहा है | चमोली गाँव के दो भाइयों ने कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान इसकी शुरुआत की है | अजय बिष्ट ने बताया की भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद एक दिन अपने भाई के साथ मिलकर भीमल से शैम्पू बनाने की योजना बना रहे थे | और हम अपनी योजना में सफल रहे है |

शैम्पू बनाने के लिए पहले रेशों का पाउडर बनाते है |फिर शैम्पू बनाया जाता है | लॉकडाउन के समय हमने सोचा की पहले लोग भीमल के सबुन से नहाते थे | ये सोचकर हमने दोनों भाइयों ने इस पर काम करना शुरू कर दिया था | और हम उसे बनाने मे कामयाब हो गए |

अजय बिष्ट ने बताया की जनवरी में हमने भीमल शैम्पू को बाजार मे उतारा था धीरे धीरे कोटद्वार ऋषिकेश और दिल्ली जैसे महानगरों में डिमांड बढ़ गयी है | फ्यूचर में बड़े पैमाने पर भीमल शैम्पू को बनाने की योजना है |

भीमल शैम्पू की विशेषता

बालों को मुलायम करता है |
डैंड्रफ बालों से बिलकुल जड़ से खत्म कर देता है |

रोजगार भी मिला

कुछ लोगो को इससे रोजगार भी मिला है |जिससे उनकी आर्थिक स्थिति ठीक हो गयी है | दोनों भाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना से जुड़े हुए है |