हल्द्वानी , PAHAAD NEWS TEAM

 उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र ने एक और उपलब्धि हासिल की है. इस बार केंद्र ने आर्किड की एक दुर्लभ प्रजाति की खोज की है। इस आर्किड का नाम है ‘सिफलान्थेरा इरेक्टा वर आब्लिांसओिलाटा ‘ । जिसे वन विभाग की शोध टीम ने दूरस्थ चमोली जिले के मंडल क्षेत्र के जंगलों में खोजा है. वहीं ऑर्किड की यह प्रजाति देश में पहली बार देखी गई है। जिसे अब भारतीय वानस्पतिक सर्वेक्षण द्वारा मान्यता प्राप्त है और आधिकारिक तौर पर इसे वनस्पतियों की सूची में शामिल कर लिया है।

जानकारी के मुताबिक इस साल मई के महीने में रिसर्च टीम में शामिल रेंज ऑफिसर हरीश नेगी और जूनियर रिसर्च फेलो मनोज सिंह ने मंडल के 1870 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बांज-बुरांस के जंगल से आर्किड की नई प्रजाति ‘सिफलान्थेरा इरेक्टा वर आब्लिांसओिलाटा’ की खोज की थी । ऑर्किड की दृष्टि से मंडल क्षेत्र बहुत समृद्ध माना जाता है।

वहीं, मुख्य वन अनुसंधान मंडल संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि आर्किड की नई प्रजाति मिलने के बाद इसे परीक्षण के लिए भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) को भेजा गया था। तीन महीने बाद बीएसआई की ओर से जवाब आया है। परीक्षण से पता चला कि ऑर्किड की यह प्रजाति देश में पहली बार पाई गई है। जिसे आधिकारिक तौर पर भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण द्वारा वनस्पतियों की सूची में भी शामिल किया गया है।

संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि पिछले साल भी इसी टीम ने चमोली जिले में 3800 मीटर की ऊंचाई पर आर्किड ‘लिपारिस पिग्निया की एक दुर्लभ प्रजाति की खोज की थी, जो भारत में 124 साल बाद देखने को मिली थी। साथ ही, इसे पहली बार पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में खोजा गया था। साथ ही, हाल ही में खोजी गई ‘सिफलान्थेरा इरेक्टा वर आब्लिांसओिलाटा’ आर्किड को BSI ने नेलुम्बो पत्रिका के अपने नवीनतम संस्करण में सेफलांथेरा इरेक्टा वेर को जोड़ने की पुष्टि की है। उत्तराखंड देश और दुनिया में अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। चमोली में पहली बार आर्किड की यह नई प्रजाति मिलना भी इस बात की गवाही देता है।

उल्लेखनीय है कि 30 जुलाई को उत्तराखंड वन विभाग की अनुसंधान शाखा ने चमोली जिले के गोपेश्वर मंडल क्षेत्र खल्ला पंचायत के अंतर्गत 6 एकड़ में आर्किड संरक्षण केंद्र की स्थापना की है. जो उत्तर भारत का पहला आर्किड संरक्षण केंद्र भी है। ऑर्किड की लगभग 70 प्रजातियों को यहां संरक्षित किया गया है।