मसूरी , PAHAAD NEWS TEAM
पहाड़ों की रानी मसूरी में कोरोना नियमों को ध्यान में रखते हुए भद्रराज देवता की दो दिवसीय वार्षिक पूजा अर्चना की गई . इस अवसर पर भक्त भगवान भद्रराज का दूध, घी, मक्खन और दही से अभिषेक करते हैं। कोरोना को देखते हुए इस बार पूर्व भगवान भद्रराज के प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन मेले का आयोजन नहीं किया गया। इसके साथ – साथ मंदिर परिसर में ढोल धमाकों के साथ भद्रराज देवता के अनेक पासुवा भी अवतरित हुए जिसको देखने के लिए दर्शकों का ताँता लग गया |
दरअसल, मसूरी नगर पालिका सीमा के अंतर्गत 15 किमी की दूरी पर स्थित भगवान भद्रराज के मंदिर में पूजा-अर्चना की गई. इस मौके पर भगवान के हजारो भक्त भद्रराज मंदिर पहुंचे।
अधिकांश भक्त 10 से 15 किलोमीटर पैदल चलकर अपने देवता के दर्शन करने पहुंचे थे। मंदिर के पुजारी ने बताया कि महाभारत के समय कृष्ण के भाई बलराम दुधली के मसूरी के इस सुदूर इलाके में भ्रमण पर गए थे और वहां जाकर ग्वालों को शास्त्रों का ज्ञान दिया था. मंदिर के पुजारी के अनुसार भगवान बलराम ने यहीं विश्राम किया था। तब से इस स्थान पर ग्रामीणों द्वारा पूजा की जाती है और भक्त यहां भगवान भद्रराज के दर्शन के लिए आते हैं।
भगवान भद्रराज के दर्शन कर विश्व शांति की कामना की। मंदिर के कपाट खुलने से पहले ही रात से ही मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगनी शुरू हो गई. वहीं मेला समिति क़े अध्यक्ष राजेश नौटियाल ने बताया कि पूजा में मसूरी, देहरादून, पछवादून, विकासनगर, जौनसार और रवई समेत विभिन्न क्षेत्रों से लोग पहुंचे थे. उन्होने बताया कि भद्रराज मंदिर को पर्यटन से भी जोड़ा जा रहा है | जिससे अन्य राज्यों के लोग भी दरसन कर सकेंगे | और इससे लोगो को रोजगार भी मिलेगा | इस अवसर पर मंदिर समिति क़े अध्यक्ष राजेश नौटियाल , उपाध्यक्ष बलवंत सिंह तोमर , अनिल पवार , रमेश पवांर , बच्चन पुंडीर के साथ हज़ारो श्रद्धालु मौजूद रहे।
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