चकराता , PAHAAD NEWS TEAM

पिछले डेढ़ दशक से जौनसार के रंगेऊ के निवासी यशपाल रावत विदेश में महाप्रबंधक की नौकरी छोड़ गांव में आकर जैविक खेती कर रहे हैं। उनकी यह पहल पहाड़ में खेती और बागवानी के माध्यम से पलायन रोकने के साथ स्वरोजगार को बढ़ावा देना है। इसके लिए, वह अन्य ग्रामीण किसानों के साथ दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं ताकि जैविक खेती से नकदी फसल पैदा कर सकें।

यशपाल सिंह रावत, जौनसार के सुदूरवर्ती रंगेऊ गाँव के निवासी, पूर्व सीएमओ डॉ. जगत सिंह रावत की आठ संतानों में सबसे छोटे बेटे हैं। होटल व्यवसाय में रुचि होने से यशपाल रावत ने उच्च शिक्षा के बाद नई दिल्ली के प्रतिष्ठित पूसा के आइएचएम से तीन वर्षीय होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर करीब डेढ़ दशक तक देश-विदेश में कई फाइव स्टार होटलों में नौकरी की। कुछ साल पहले वह अफ्रीका के जामिमा कंट्री के प्रसिद्ध होटल के महाप्रबंधक के पद पर रहे। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दौर में वह विदेश में अच्छी खासी नौकरी छोड़ कर अपने पैतृक गांव लौट गए। रिवर्स पलायन के तहत गाँव में आकर बसे होटल व्यवसाय से जुड़े यशपाल रावत ने रंगेऊ में जैविक खेती को बढ़ावा देने की पहल की। वैज्ञानिक तकनीक से खेती और बागवानी करने वाले प्रगतिशील किसान यशपाल रावत ने गांव में चार हेक्टेयर का बगीचा तैयार किया है। इसमें अमरूद, अनार, नाशपाती, आड़ू और अन्य प्रजातियों के लगभग 12 सौ पौधों का रोपण किया गया है। इसके अलावा, पांच सौ सेब के बागों की प्रजातियों को अलग से तैयार किया गया है। प्रगतिशील किसान यशपाल रावत ने कहा कि वह जैविक खेती के माध्यम से गाँव में अदरक, गागली, मटर, गोभी, आलू, टमाटर आदि नकदी फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। पहाड़ों से चल रहे पलायन को रोकने और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए, यशपाल रावत ने सीमावर्ती क्षेत्र के जौनसार के अठगाँव, विशलाड़, तपलाड़, बोंदूर, मोहन, बणगांव व द्धार खत समेत सात खतों से जुड़े कई गांवों के सैकड़ों ग्रामीण किसानों के साथ मिलकर जौनसार के सीमांत इलाके में खेती-बागवानी को नई ऊंचाइयां दे रहे हैं।

चकराता ब्लॉक के सात खतों से जुड़े कई गांवों के सैकड़ों किसानों ने उन्हें किसान संघ का अध्यक्ष बनाया है। संगठन के माध्यम से, वह क्षेत्र के किसानों की समस्याओं को भी प्रमुखता से उठा रहे है। चकराता ब्लॉक किसान संगठन के अध्यक्ष यशपाल रावत ने जौनसार के किसानों से विकासनगर , देहरादून और सहारनपुर की मंडियों में कृषि उपज बेचने के लिए ग्रामीण किसानों से राजस्व का छह प्रतिशत काटने के खिलाफ जोरदार विरोध किया। उनके इस कदम के कारण, मंडियों में अब किसानों से सिर्फ तीन फीसद आढ़त काटी जा रही है। जिसका लाभ क्षेत्र के सैकड़ों किसानों को मिला।