उत्तरकाशी, दिनांकः 07 सितम्बर 2022

चिन्मय मिशन द्वारा तपोवन कुटी आश्रम, उजेली, उत्तरकाशी में आयोजित ‘‘आत्म-चिंतन’’ – आध्यात्मिक साधना शिविर के तीसरे दिन प्रतिभागी साधकों को वेदांत के गूढ़ रहस्यों से परिचित कराते हुए ब्रह्मचारी कौशिक चैतन्य जी ने बताया कि इस शरीर में जो चेतना आती है और यह जीवन्त होता है मन के अन्दर जो वृत्तियां हैं काम, संकल्प, संदेह, श्रद्धा-अश्रद्धा, लज्जा, ज्ञान और भय ये सब प्रकाशित कौन करता है? एक ही चैतन्य तत्व स्वयं असंग, निर्लिप्त, अविकारी रहते हुए इन सब को प्रकाशित करता है।

वह चेतना इन मनोवृत्तियों को प्रकाशित तो करती है परन्तु स्वयं सदा ही स्वप्रकाशित, अविकारी, निर्लिप्त, एवं बंधनमुक्त रहती है। आत्मा तो सदा ही अपने निजस्वरूप में स्थित रहती है। मुण्डक उपनिषद् की श्रूति कहती है कि वहां तो सूर्य, चन्द्र, तारागण, अग्नि आदि भी उसको प्रकाशित नहीं करते क्योंकि वह तो स्वयं प्रकाशमान है। ब्रह्मचारी जी आगे बताते हैं कि श्रद्धा के बिना अध्यात्म का मार्ग सम्भव नहीं है। श्रद्धा की पूंजी के सहारे हम गुरू उपदेशित मार्ग का अनुसरण कर परम तत्व के रहस्य को उद्घाटित कर सकते हैं।

श्रद्धा एक आलंबन का कार्य करती है जो हमको एक विश्वास दिलाती है कि इस पथ पर चल कर हम अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेंगे। श्रद्धा और गुरू का साथ मिलकर जीवन की विषम परिस्थितियों को भी अनुकूलता में बदल देता है और हम अपनी जीवन नौका को सहजता से संसार सागर से पार उतार देते हैं।

उत्तरकाशी : अध्यात्म का आलंबन है श्रद्धाः ब्रह्मचारी कौशिक चैतन्य

दिनांक 11 सितम्बर तक चलने वाले इस आवासीय साधना शिविर में श्री मेघराज खत्री, श्रीमती मोहनी खत्री, श्रीमती आशा विनोद द्विवेदी, डा. अशोक खुराना, श्रीमती अशोक खुराना, श्री सुभाष चन्द्र थरेजा, श्रीमती बीना थरेजा, प्रो. मदन मोहन मिश्र, डा. आर. एस. त्रिपाठी, श्रीमती प्रतिभा त्रिपाठी, श्रीमती कुसुम श्रीवास्तव, डा. संध्या शर्मा, श्रीमती कमलेश तुली, सुश्री कंचन तुली, श्री धर्मेन्द्र मनोज दीक्षित, श्रीमती मीना दीक्षित, श्री सुदर्शन कुमार, श्रीमती शारदा धीर, श्रीमती सुनीता शार्दूल सिंह, श्री लक्ष्मीकांत भूरे, श्रीमयी मित्रा, श्री भगवती प्रसाद सोनी, श्रीमती विजयलक्ष्मी सोनी, श्री देवेश शुक्ला, श्री सुदेश शुक्ला आदि शामिल हैं।