उत्तरकाशी , पहाड़ न्यूज टीम

नमामि गंगे के तहत करीब 16 करोड़ की राशि से बना घाट गंगोत्री धाम में बेमानी साबित हो रहा है. घाट से गंगा की धारा दूर होने के कारण इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। भारत-विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए गंगोत्री धाम में गंगा स्नान करना एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। गंगोत्री में जान जोखिम में डालकर श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। दस दिन में दो घटनाएं हो चुकी हैं।

पहले गंगोत्री धाम में सामान्यत: सिंचाई विभाग हर साल यात्रा शुरू होने से पहले घाट निर्माण का काम करता था। लेकिन, 2012 और 2013 की आपदा में गंगोत्री धाम के घाट बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, जिसके बाद वर्ष 2018 तक गंगोत्री धाम में घाटों के पुनर्निर्माण का कार्य नहीं हो सका। वर्ष 2018 और 2019 में चार श्रद्धालुओं की मृत्यु स्नान के दौरान भागीरथी में बहने के कारण गंगोत्री धाम में हुई । फिर 2019 में नमामि गंगे के तहत घाटों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई और घाटों को भी तैयार किया गया. लेकिन, गंगोत्री में नमामि गंगे के तहत बने घाटों के निर्माण का लाभ गंगा में स्नान कर गंगा जल भरने वाले भक्तों को नहीं मिल रहा है. गंगोत्री धाम के तीर्थयात्री संजीव सेमवाल ने बताया कि गंगोत्री के घाटों पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. भागीरथी में डुबकी लगाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है। प्रशासन को घाटों पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए. उन्होंने कहा कि नदी के किनारे विशेष व्यवस्था की जाए।