जनपद टिहरी के स्यालसी, गोरण, फिडोगी और आसपास के गांवों को जोड़ने वाली सड़क परियोजना 2012 में स्वीकृत हुई थी। यह सड़क हनुमान मंदिर से शुरू होकर ग्रामीण क्षेत्रों तक जाती है, जो इन इलाकों के लोगों के लिए मुख्य आवागमन मार्ग बन सकती थी। लेकिन दुर्भाग्य से यह परियोजना पिछले 12 सालों से अधर में लटकी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि शासन और प्रशासन की उदासीनता के चलते यह सड़क निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है।

ग्रामीणों की परेशानी – क्यों जरूरी है यह सड़क?

स्यालसी, गोरण, और फिडोगी जैसे गांवों में सड़क की कनेक्टिविटी बेहद खराब है।
• बरसात के मौसम में रास्ते बंद हो जाते हैं।
• मरीजों और बुजुर्गों को अस्पताल तक पहुंचने में भारी दिक्कत होती है।
• बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है, क्योंकि स्कूल जाने के लिए सुरक्षित रास्ता नहीं है।
• स्थानीय व्यापारी और किसान अपनी फसल और सामान बाजार तक नहीं ले जा पाते हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह सड़क बनती है तो इससे क्षेत्र के कई गांवों को मुख्य बाजारों और अस्पतालों से जोड़ने में मदद मिलेगी।

क्या है मुख्य समस्या?

1️⃣ फाइल प्रशासनिक दफ्तरों में अटकी है
• सड़क निर्माण की फाइल 2012 से शासन-प्रशासन के दफ्तरों में लंबित है।
• ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार डीएम कार्यालय और विधायक को ज्ञापन दिए गए, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

2️⃣ मुआवजे को लेकर विवाद
• शासन-प्रशासन 2012 की दरों के आधार पर मुआवजा देना चाहता है, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि 2023-24 की वर्तमान दरों के आधार पर मुआवजा मिलना चाहिए।
• प्रशासन द्वारा पुराने मुआवजे की पेशकश को ग्रामीणों ने अस्वीकार कर दिया है।

3️⃣ स्थानीय नेताओं की निष्क्रियता
• ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
• चुनाव के समय वादे किए जाते हैं, लेकिन उसके बाद कोई फॉलोअप नहीं होता।

ग्रामीणों ने क्या प्रयास किए हैं?
• प्रेस और मीडिया का सहारा लिया – ग्रामीणों ने कई बार अखबारों में विज्ञप्तियां जारी की हैं।
• सोशल मीडिया पर अभियान चलाया – फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर सड़क निर्माण की मांग को लेकर जागरूकता फैलाई।
• ज्ञापन सौंपे – डीएम कार्यालय, ब्लॉक प्रमुख, और अन्य अधिकारियों को बार-बार ज्ञापन दिए।

प्रशासन की ओर से क्या प्रतिक्रिया आई?

प्रशासन की ओर से कहा गया है कि:
• फाइल प्रक्रिया में है, लेकिन मुआवजे को लेकर विवाद बना हुआ है।
• सड़क निर्माण के लिए बजट आवंटित किया जाएगा, लेकिन पहले मुआवजे का मामला सुलझाना जरूरी है।

ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
1. सड़क निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जाए।
2. मुआवजा वर्तमान बाजार दरों के हिसाब से दिया जाए।
3. स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी इस मुद्दे पर सक्रियता से काम करें।

क्या कह रहे हैं ग्रामीण?

नवीन नौटियाल (ग्रामीण)

“हमने 2012 से अब तक कई बार शासन-प्रशासन से अपील की है। अखबारों में खबरें छपवाईं, ज्ञापन सौंपे। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। अगर सड़क नहीं बनी तो हमें आंदोलन करना पड़ेगा।”

गीता देवी (महिला ग्रामीण)

“बरसात के दिनों में हमारे बच्चों को स्कूल भेजना मुश्किल हो जाता है। बीमार पड़ने पर मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए कोई गाड़ी नहीं आती। हमें सड़क चाहिए, और हमें वर्तमान दरों का मुआवजा मिलना चाहिए।”

राजेंद्र सिंह (किसान)

“यह सड़क बनने से हमारे फसल और उत्पाद बाजार तक पहुंच सकेंगे। लेकिन 12 साल से सिर्फ वादे सुन रहे हैं। अब हमें ठोस कार्रवाई चाहिए।”

क्या हो सकता है समाधान?
1. मुआवजा विवाद का निपटारा किया जाए।
2. स्थानीय प्रशासन को परियोजना की फाइल पर तेजी से काम करना चाहिए।
3. स्थानीय विधायक और सांसद को इस मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
4. सड़क निर्माण के लिए ठेकेदारों को जल्दी नियुक्त किया जाए।

निष्कर्ष

यह सड़क परियोजना स्थानीय ग्रामीणों के लिए जीवनरेखा साबित हो सकती है। लेकिन मुआवजे के विवाद और प्रशासनिक लापरवाही के कारण सड़क निर्माण कार्य अब तक अधूरा है। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार 2023-24 के हिसाब से मुआवजा दे और जल्द से जल्द सड़क निर्माण कार्य शुरू करे। यदि प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो ग्रामीण आंदोलन करने की भी चेतावनी दे रहे हैं।