देहरादून: डॉक्टरों की लंबित मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ ने नाराजगी जताई है. संघ ने 10 दिसंबर को आम सभा (स्वास्थ्य सेवा संघ आम सभा) बुलाई है. इस मुलाकात के बाद एक प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से भी मुलाकात करेगा. प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने आपात बैठक कर यह फैसला लिया है.

यूनियन के सभी सदस्यों ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि स्वास्थ्य मंत्री द्वारा आश्वासन दिए जाने के बावजूद उनकी एक भी मांग पूरी नहीं की गई है। प्रांतीय कार्यकारिणी के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. मनोज वर्मा व प्रांतीय महासचिव डॉ. रमेश कुंवर का कहना है कि डीपीसी जरूर हुई, लेकिन इसमें भी डीजी स्वास्थ्य एवं सचिवालय की कार्यशैली लचर है. ऐसा लगता है कि हर बार डीपीसी जैसी सामान्य प्रक्रिया के लिए हर साल कम से कम 2 बार मंत्री की शरण में जाने को मजबूर होना पड़ेगा. उन्होंने एसीआर पर लगातार हो रही लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर नाराजगी भी जताई है।

डॉक्टरों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने पीजी के दौरान डॉक्टरों को पूरा वेतन देने की घोषणा की थी, लेकिन इस पर भी अमल नहीं किया गया. डॉक्टरों का यह भी कहना है कि उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में अलग से एनएचएम प्रभारी अधिकारी की व्यवस्था नहीं है. जबकि उत्तराखंड में जूनियर डॉक्टरों को राष्ट्रीय कार्यक्रमों में जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा संघ के पदाधिकारियों ने बैठक कर राजकीय अवकाश के दिन ओपीडी को पूरी तरह बंद रखने की मांग उठाई. इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों को 50 प्रतिशत भत्ता और एमबीबीएस के अलावा अन्य दंत चिकित्सकों को 20 प्रतिशत भत्ता देने की भी मांग उठाई गई है.