श्रीनगर : जलवायु परिवर्तन के कारण उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश खतरे में है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की दर में कमी से बुरांश के फूलों के परिपक्व में बाधा आ रही है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, 2019 और 2023 में किए गए अध्ययनों में पाया गया कि बर्फ की कमी के कारण बुरांश में फूल नहीं आए। इसे बुरांश के अस्तित्व के लिए चिंता का विषय माना जा रहा है।
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी एवं शोध केंद्र (हैप्रक) ने स्पेस एप्लीकेशन सेंटर और इसरो अहमदाबाद के सहयोग से बुग्याली क्षेत्रों में फूलों की निगरानी के लिए तुंगनाथ में फेनोकैम स्थापित किया है। फेनोकैम एक प्रकार का डिजिटल कैमरा है जो वनस्पति की तस्वीरें खींचता है।
प्राप्त जानकारी के आधार पर एचएपीआरके के निदेशक प्रो. एमसी नौटियाल के निर्देशन में हुआ शोध। इसे इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल ‘एनवायरमेंटल मॉनिटरिंग एंड असेसमेंट’ में प्रकाशित किया गया है। यह अध्ययन राज्य वृक्ष बुरांश पर किया गया। बताया गया कि बुग्याल क्षेत्रों में बर्फबारी की अवधि कम होने से पौधों के फूलने की अवस्था पर असर पड़ रहा है।
हैप्रक के निदेशक प्रो. एमसी नौटियाल का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से बुरांश की पुष्पन अवस्था प्रभावित हो रही है। बुरांश में फूल आने के लिए विशिष्ट वसंतीकरण की आवश्यकता होती है, लेकिन कम बर्फबारी के कारण बुग्याल क्षेत्रों में उचित सर्दी नहीं मिल पाती है। बुरांश के फूल पर कई पुष्प रसपान करने वाले कीट एवं भंवरे भी इनपर निर्भर हैं। फूल न आने, परागण न होने से अन्य पौधे भी प्रभावित होते हैं।
इसलिए ये फूल खास है
बुरांश अपने शानदार फूलों और औषधीय पुष्प पेय के लिए पूरे उत्तराखंड में जाना जाता है। बुरांश के फूलों का जूस बहुत लोकप्रिय हो गया है और बाज़ार में बेचा जा रहा है। ऐसे में बुरांश ग्रामीणों की आजीविका से भी जुड़ा है।
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