देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM

अफगानिस्तान में संकट ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। अफगानिस्तान पर आतंकी संगठन तालिबान के कब्जे के बाद वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों की जान सांसत में पड़ गई है। उत्तराखंड के 140 लोग वहां फंसे हुए हैं। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एयरपोर्ट से कुछ ही दूरी पर स्थित होटलों में कैद उत्तराखंडी सरकार से उन्हें वतन वापस ले जाने की गुहार लगा रहे हैं। तालिबान आतंकवादियों के सड़कों पर मंडराने के कारण वह होटल छोड़ने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे । वे होटल से ही वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया के जरिए अपना दर्द बयां कर रहे हैं. राज्य के कई लोगों ने दूतावासों में शरण ली है. वहीं उनके घर में भी दहशत का माहौल है. परिजन चिंता और भय से परेशान हैं। लगातार अपनों से संपर्क कर उनका हाल पूछ रहे हैं।

रो-रोकर बुरा हाल घरवालों का, बार-बार पूछ रहा अनुराग का हाल

दून के रायपुर निवासी अनुराग गुरुंग अपने साथियों के साथ काबुल में फंसे हुए हैं। अनुराग के भाई बब्बू ने बताया कि एयरपोर्ट से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित एक होटल में दो दर्जन से ज्यादा उत्तराखंडी अपने भाई के साथ कैद हैं. होटल के बाहर तालिबानी आतंकी मंडरा रहे हैं. ऐसे में वह एयरपोर्ट नहीं पहुंच सकते। इधर, अनुराग के माता-पिता, पत्नी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है. वह लगातार अनुराग की सलामती के लिए भगवान से दुआ कर रहे हैं. साथ ही अनुराग से संपर्क कर उसका हाल जान रहे हैं। परिवार की निगाहें न्यूज चैनलों पर भी टिकी हैं। अनुराग अफगानिस्तान में एक अमेरिकी कंपनी में काम करता है। उनके दो साले समेत आठ अन्य भारतीय भी उसी कंपनी में हैं। सोमवार को उनकी भारत के लिए एक उड़ान थी, लेकिन हवाई अड्डे के रनवे पर तालिबान के कब्जे के कारण उड़ान नहीं भर सकी। अनुराग के पिता और भाई दोनों पूर्व सैनिक हैं और लगातार उनसे संपर्क कर हिम्मत बढ़ा रहे हैं।

डेनिश दूतावास में फंसे उत्तराखंडी

काबुल स्थित डेनिस दूतावास में भी बड़ी संख्या में भारतीय फंसे हुए हैं। डेनमार्क के इस दूतावास में दो दर्जन उत्तराखंडियों ने शरण ली है। हर कोई दहशत में है और बाहर घूम रहे तालिबानियों से छिप रहा है। दूतावास में फंसे देहरादून के प्रेमनगर निवासी राकेश राणा ने इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर सरकार से मदद की गुहार लगाई है। वीडियो में उन्होंने बताया कि उनके साथ कई लोग चार दिन से एक कमरे में कैद हैं. वहां उन्हें खाना भी नहीं मिल रहा है.

बेटा कह रहा है, यहां सब कुछ नॉर्मल है

देहरादून की शक्ति कॉलोनी हाथीबड़कला निवासी नितिन भंडारी जनवरी से अफगानिस्तान में हैं। नितिन की मां मीरा भंडारी ने बताया कि बेटा उनसे लगातार फोन पर बात कर रहा है. ‘वह कहता हैं कि यहां सब कुछ ठीक है, आप चिंता न करें। लेकिन, किस मां को इन हालात में अपने बेटे की चिंता नहीं होगी। सरकार से उम्मीद की जा रही है कि जो भारतीय अफगानिस्तान में नितिन के साथ हैं, उन्हें सकुशल वापस लाएं। नितिन भंडारी 2017 में गोरखा राइफल्स से सेवानिवृत्त होने के दो साल बाद 2019 से काबुल में यूएनओ एजेंसी में सुरक्षा गार्ड के रूप में कार्यरत हैं। यहां घर पर मां के अलावा भूतपूर्व सैनिक पिता सहदेव भंडारी, पत्नी सोनिका भंडारी और आठ वर्ष का बेटा आरव भी है।

वीडियो कॉल दिखा रहे पूरा दृश्य

दून के गढ़ी कैंट निवासी अजय सिंह क्षेत्री सेकंड जैक राइफल से सेवानिवृत्त होने के बाद 2011 से काबुल में सुरक्षा गार्ड के रूप में कार्यरत हैं। उनकी पत्नी रेखा क्षेत्री ने बताया कि आए दिन फोन और वीडियो कॉल के जरिए बात होती रहती है। अजय को उस जगह से बाहर आने की इजाजत नहीं है जहां वह काम कर रहा है। ऐसे में वीडियो काल से ही वहां के माहौल को दिखा रहे हैं। 10 जनवरी को दून से काबुल के लिए रवाना हुए अजय का वीजा दिसंबर में खत्म होने वाला है, इसलिए वह उससे पहले घर आने की बात कर रहा है. अजय सिंह क्षेत्री अपनी पत्नी के अलावा दिन में तीन से चार बार फोन कर बेटे शुभांकर और शोभित को स्थिति सामान्य होने पर जल्द घर लौटने को कह रहे हैं.

कारोनाकाल में रोजगार छिनने के बाद पहुंच गए अफगानिस्तान

पिछले डेढ़ साल में कोरोना की मार से नौकरी गंवाने वाले कई युवा हाल ही में अफगानिस्तान गए थे। पिछले दो महीनों के भीतर तीन दर्जन से अधिक उत्तराखंडी नौकरी की तलाश में अफगानिस्तान पहुंचे। अब जब हालात बिगड़े हैं तो कंपनियों ने न सिर्फ उनका साथ छोड़ा है, बल्कि उनकी जिंदगी भी खत्म हो गई है. कई युवा तो इंटरनेट मीडिया पर तो यहां तक कह रहे हैं कि भारत में बेरोजगार रह लेंगे, बस जीवित निकल जाएं।

इंटरनेट बंद होने का डर

अफगानिस्तान में फंसे कई उत्तराखंडियों को इस बात का भी डर है कि कहीं तालिबान आतंकवादी इंटरनेट सेवा बाधित न कर दें। होटल आदि में छिपे हुए व्यक्ति इंटरनेट के माध्यम से अपने परिवार और भारत सरकार से संपर्क कर अपनी स्थिति बता रहे हैं।

दिल्ली में विदेश मंत्रालय के चक्कर काट रहे

अफगानिस्तान में फंसे दून वासियों के रिश्तेदार और दोस्त दिल्ली में विदेश मंत्रालय के चक्कर लगा रहे हैं। वह अधिकारियों से अफगानिस्तान से अपने दोस्त और रिश्तेदार को वापस लाने का आग्रह कर रहा है। सुबह से शाम तक दफ्तरों में इधर-उधर भटकने के बाद भी न तो कोई ठोस कार्रवाई का आश्वासन मिल रहा है और न ही कोई मंत्रालय की गतिविधियों की जानकारी दे रहा है.

मुख्यमंत्री से मांगी मदद

अफगानिस्तान में फंसे कई उत्तराखंडियों ने इंटरनेट मीडिया पर वीडियो डालकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने वीडियो में कहा कि मुख्यमंत्री जी, हमारी जान को खतरा है, हमारी मदद करें. उन्होंने यह भी बताया कि सशस्त्र तालिबान उन्हें धमकी दे रहे हैं। बताया कि जब वह घर लौटने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे तो तालिबान के कुछ आतंकियों ने उन पर डंडों से हमला किया और सामान छीन लिया. उसके बाद वह होटल में लौट आए और वहीं छिपे है।