हल्द्वानी , PAHAAD NEWS TEA

देवभूमि के एक लेखक जिनकी रचनाओं में पहाड़ की पीड़ा के साथ-साथ भूख, स्त्री और मृत्यु का मार्मिक चित्रण है. ऐसे महान लेखक शैलेश मटियानी के प्रति सरकार और अन्य लेखकों का रवैया हमेशा उपेक्षापूर्ण रहा। अभावों और संघर्षों के बीच पले-बढ़े मटियानी ने 51 साल के साहित्यिक करियर में 30 उपन्यासों सहित विभिन्न विधाओं में 97 से अधिक रचनाएँ लिखीं। उनका जन्म 14 अक्टूबर 1931 को अल्मोड़ा के बाड़ेछीना में हुआ था। जब वे 14 वर्ष के थे, तब उनके सिर से माता-पिता का साया उठ गया था। मटियानी का जीवन संघर्षमय हो गया। अल्मोड़ा पहुंचकर वहां भी वह अपने चाचा के साथ गोश्त के कारोबार में मदद करने लगे।

इस प्रकार शुरू हुई साहित्यिक यात्रा

मटियानी के चचेरे भाई नौसेना में थे। उनकी रचनाएँ नौसेना की पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। शैलेश मटियानी उनकी कविताओं को पढ़कर प्रेरित हुए। खुद लिखने लगे । जब अल्मोड़ा में उनकी रचनाएँ प्रकाशित नहीं हुईं, तो उन्होंने इसे दिल्ली से प्रकाशित रंगमहल और अमर कहानी पत्रिका में भेजना शुरू कर दिया और प्रकाशित भी होने लगी। संघर्ष करते हुए वह दिल्ली पहुंचे। वहां से इलाहाबाद मुंबई होते हुए आखिरी बार हल्द्वानी पहुंचे । 24 अप्रैल 2001 को उनका निधन हो गया। उन्होंने 30 उपन्यास, 28 कहानी संग्रह, नौ लोककथा संग्रह, 16 बच्चों की कहानी संग्रह, एक एकल संग्रह, 13 निबंध संग्रह लिखे हैं।

इस तरह बदला नाम

कुमाऊं विश्वविद्यालय के सीनियर रिसर्च फेलो अरविंद कुमार मौर्य ने बताया कि बचपन में उनका नाम रमेश चंद्र मटियानी था। बाद में उन्होंने शैलेश को जोड़ा, और उन्हें शैलेश मटियानी के नाम से ही पहचाना जाने लगा ।

अंतिम मिनट तक चलती रही संघर्ष यात्रा

मटियानी पर गहन अध्ययन करने वाले अरविंद मौर्य कहते हैं, कागज की खेती करने वाला यह खेतीहर अंतिम समय तक अस्मिता के लिए संघर्ष करता रहा । मटियानी की साहित्यिक दुनिया कुमाऊं के हरे भरे मैदानों से लेकर मुंबई के विशाल समुद्र तटों तक फैली हुई है। इसमें पर्वत घाटियां, संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाज, लोक जगत शामिल हैं। चाहे उनकी कहानी मैमूद हो या पहला उपन्यास दोराहा। इसके अलावा उनका प्रसिद्ध उपन्यास बोरीवली से बोरबंदर और कबूतरखाना है। मौर्य कहते हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज तक उनका स्मारक भी नहीं बन पाया। नई पीढ़ी को उनकी साहित्यिक कृतियों से अवगत कराने के लिए माटियानी साहित्य पीठ की स्थापना की आवश्यकता है।