अल्मोड़ा : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भ्रष्टाचार पर प्रभावी प्रहार दिखाने के लिए जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ‘धाकड़ धामी’ बताने का अथक प्रयास किया जा रहा है, वहीं मुख्यमंत्री धामी स्वाभाविक रूप से लोगों के बीच अपनी जननेता की छवि बनाने में लगे है। इस योजना को लागू करने के लिए ‘मुख्य सेवक आपके द्वार’ जैसे कार्यक्रम आयोजित कर वाहवाही लूटी जा रही है।

दूसरी ओर सीएम खुद मॉर्निंग वॉक पर निकलकर अपना जनसंपर्क बढ़ाने में लगे हुए हैं. लेकिन यह सारी कवायद अल्मोड़ा में तब सामने आती है जब 70 किमी दूर स्थित गरुड़ बागेश्वर से आए एक जरूरतमंद को सिस्टम के लोगों ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से बाहर कर दिया और उसे सीएम से मिलने भी नहीं दिया.

इतनी दूर से आए इस जरूरतमंद युवक की व्यथा किसी ने नहीं सुनी, जबकि मुख्यमंत्री दो दिन इसी जिले में रहे। सिस्टम को इस युवक की मांग जायज नहीं लगी और युवक को धक्का देकर बाहर कर दिया गया. स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की अनदेखी के बाद इतनी दूर आ गया यह युवक निराश होकर चला गया, लेकिन जाते समय उन्होंने अपना दुख मीडिया से साझा किया और व्यवस्था की पोल खोल दी.

दरअसल, उत्तराखंड के बागेश्वर जिले की गरुड़ तहसील के टिटोली गांव के युवक रवि पाल की मां का देहांत काफी पहले हो गया था. हाल ही में उनके पिता गोविंद पाल का निधन हुआ था। रवि का एक भाई शत प्रतिशत विकलांग है। रवि के चाचा मुंबई में ड्राइवर हैं। फिलहाल रवि अपने भाई के साथ मौसी के यहां रहकर पढ़ाई में व्यस्त है।

रवि ने खुद की कमजोर आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए सरकार से स्थानीय विधायक के माध्यम से आर्थिक मदद की गुहार भी लगाई थी. इसके साथ ही एक दिलचस्प बात यह भी हुई कि रवि को एक विषय की परीक्षा में अनुपस्थित दिखाकर स्नातकोत्तर परीक्षा परिणाम में फेल कर दिया गया है. जबकि रवि का कहना है कि उसने परीक्षा दी है।

सीएम बनकर सिस्टम में सुधार की चाह पिछले दिनों सृष्टि गोस्वामी नाम की लड़की को एक दिन के लिए सांकेतिक मुख्यमंत्री बनते देख रवि को लगता है कि जिस सिस्टम के सामने उसे धकेला जा रहा है. सत्ता मिलने पर पांच दिन में सुधरने का हौसला रखते हैं।

हरिद्वार जिले के दौलतपुर गांव की सृष्टि गोस्वामी को पिछले साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर उत्तराखंड में एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनाया गया था. सांकेतिक रूप से मुख्यमंत्री बनीं सृष्टि ने बाल सभा सत्र में बतौर मुख्यमंत्री सरकार के विभिन्न विभागों के कार्यों का जायजा लेते हुए विभागीय अधिकारियों को कई सुझाव दिए. तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की उपस्थिति में यह कार्यक्रम उत्तराखंड विधानसभा भवन के सभागार में आयोजित किया गया था.

खुद मुख्यमंत्री धामी के जनता से सीधे जुड़ाव के दावों की पोल खोलने वाला यह न तो पहला और न ही आखिरी उदाहरण है. ऐसे शिकार बनने वाले युवाओं की कमी नहीं है, जो पुलिस की सख्ती के चलते अपनी आपबीती सुनाने से भी वंचित हैं.

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