हरिद्वार/नैनीताल , PAHAAD NEWS TEAM

उत्तराखंड सरकार के आदेश के बाद राज्य में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खोल दिए गए हैं. ऐसे में हरिद्वार में पहले दिन अधिकांश स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से भी कम रही. किसी कक्षा में गिने-चुने छात्र ही बैठे नजर आए। हालांकि कई माह बाद स्कूल खुलने से छात्रों में उत्साह देखा जा रहा है। वहीं, सभी बच्चों से स्कूल आने के लिए अभिभावकों का सहमति पत्र मांगा जा रहा है. वहीं, सरोवर शहर नैनीताल और रुद्रप्रयाग में भी सरकारी स्कूल खोले गए हैं.

हरिद्वार के भल्ला म्युनिसिपल इंटर कॉलेज में कोविड दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है। कॉलेज में कोविड गाइडलाइन के तहत ही कक्षाएं चल रही हैं। सभी कक्षाओं को पूरी तरह से सेनेटाइज कर दिया गया है। कक्षा में आने से पहले सभी बच्चों का तापमान भी चेक किया गया। वहीं नैनीताल में कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए शहीद मेजर राजेश अधिकारी इंटर कॉलेज, जीजीआईसी, भारतीय शहीद सैनिक स्कूल समेत कई स्कूल खोले गए हैं. हालांकि, पहले दिन स्कूल आने वाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय कमी देखी गई।

वहीं, रुद्रप्रयाग जिले में 109 माध्यमिक, 81 इंटर कालेज एवं 28 हाईस्कूल हैं। स्कूल खुलने को लेकर जहां बच्चों में खासा उत्साह है, वहीं स्कूल खुलने के पहले दिन 50 फीसदी बच्चों ने ही हाजिरी दी है. हालांकि स्कूल में पढ़ने-पढ़ने के अलावा प्रार्थना सभाएं, बच्चों की सभाएं, खेलकूद, संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम और अन्य सामूहिक गतिविधियां आयोजित नहीं की जाएंगी.

भल्ला म्युनिसिपल इंटर कॉलेज के प्राचार्य ओपी गौनियाल ने बताया कि आज से प्रशासन ने कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है. वर्तमान में बच्चों की संख्या बहुत कम है। अभिभावकों की सहमति के बाद ही बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिया जा रहा है। स्कूल में बच्चों की संख्या कम होने के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन हो रहा है. वहीं नैनीताल जीजीआईसी स्कूल की प्रिंसिपल सावित्री शॉप का कहना है कि उनकी प्राथमिकता है कि बच्चे स्कूल आकर पढ़ाई करें और वे भी सुरक्षित रहें. इसके तहत पिछले 2 दिनों से स्कूल को सेनेटाइज किया जा रहा है, ताकि किसी भी हाल में बच्चों में संक्रमण न फैले।

वहीं रुद्रप्रयाग राजकीय कन्या इंटर कॉलेज की प्रधानाध्यापिका डॉ. ममता नौटियाल ने बताया कि स्कूल खुलने को लेकर बच्चों में खासा उत्साह है, लेकिन अभी तक 50 फीसदी बच्चों की ही उपस्थिति दर्ज हुई है, अन्य अभिभावकों के सहमति पत्र भी मिल रहे हैं। ऐसे में बच्चों की उपस्थिति बनी रहेगी। जो बच्चे घर पर पढ़ाई करना चाहते हैं, वे ऑनलाइन पढ़ाई करते रहेंगे।